The Concept of One Nation, One Election in Indian Democracy: A Study of Benefits, Challenges, and Feasibility
भारतीय लोकतंत्र में एक राष्ट्र, एक चुनाव की अवधारणा: लाभ, चुनौतियां और व्यवहार्यता का अध्ययन
DOI:
https://doi.org/10.31305/rrjss.2024.v04.n02.003Keywords:
One Nation, One Election, Democracy, India, Challenges, Benefits, FeasibilityAbstract
This study highlights that the concept of "One Nation, One Election" (simultaneous elections) in India aims to conduct Lok Sabha and Assembly elections together. This idea is regarded as a significant effort to enhance efficiency and conserve resources in Indian democracy. In the current system, the frequent conduct of elections disrupts governance repeatedly and leads to excessive expenditure of economic resources. The research presents a comprehensive analysis of the potential benefits, challenges, and feasibility of "One Nation, One Election." The potential benefits include economic savings, governance stability, simplification of the election process, and a focused approach to developmental activities. It can also reduce administrative obstacles caused by the frequent imposition of the Model Code of Conduct during elections. However, there are several challenges in implementing this concept. These include the need for constitutional amendments, disagreements among political parties, and issues arising from differing timelines and concerns of states, making the process complex. Furthermore, coordinating the electoral cycles and priorities of various states is a challenging task. The study concludes that, from a long-term perspective, this idea can make the democratic system more organized and empowered. However, its implementation requires political consensus, administrative reforms, and essential amendments to the constitutional framework.
Abstract in Hindi Language: प्रस्तुत अध्ययन में स्पष्ट है कि भारत में ”एक राष्ट्र, एक चुनाव“ (समानांतर चुनाव) की अवधारणा का उद्देश्य देश में लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ आयोजित करना है। यह अवधारणा भारतीय लोकतंत्र में प्रभावशीलता और संसाधन बचत को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास मानी जा रही है। वर्तमान प्रणाली में विभिन्न समय पर चुनाव कराए जाने के कारण शासन में बार-बार व्यवधान उत्पन्न होता है और आर्थिक संसाधनों का अत्यधिक व्यय होता है। इस शोध में ”एक राष्ट्र, एक चुनाव“ के संभावित लाभों, चुनौतियों और व्यवहार्यता का समग्र विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। संभावित लाभों में आर्थिक बचत, शासन की स्थिरता, चुनाव प्रक्रिया का सरलीकरण, और विकास कार्यों पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है। इससे बार-बार चुनाव आचार संहिता लागू होने के कारण होने वाले प्रशासनिक बाधाओं को कम किया जा सकता है। हालांकि, इस अवधारणा को लागू करने में कई चुनौतियां भी हैं। संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता, राजनीतिक दलों की असहमति, और राज्यों के भिन्न मुद्दे तथा समय सीमा इस प्रक्रिया को जटिल बनाते हैं। इसके अतिरिक्त, विभिन्न राज्यों के चुनावी चक्रों और प्राथमिकताओं को एक साथ समन्वित करना कठिन है। इस अध्ययन के निष्कर्ष में पाया गया कि यह विचार दीर्घकालिक दृष्टिकोण से लोकतांत्रिक व्यवस्था को अधिक संगठित और सशक्त बना सकता है। हालांकि, इसे लागू करने के लिए राजनीतिक सहमति, प्रशासनिक सुधार, और संवैधानिक ढांचे में आवश्यक संशोधन अपरिहार्य हैं।
Keywords: एक राष्ट्र, एक चुनाव, लोकतंत्र, भारत, चुनौतियां, लाभ, व्यवहार्यता।
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