Indian Mahadalit Problem: A Sociological Study

भारतीय महादलित समस्या: एक समाजशास्त्रीय अध्ययन

Authors

  • Archana Kumari Research Scholar, Department of Sociology, Veer Kunwar Singh University, Arrah Author

DOI:

https://doi.org/10.31305/rrjss.2022.v02.n01.003

Keywords:

Varna system, social structure, untouchability, Mahadalit problem

Abstract

India has a Varna dominated social system. Today we know it as Hindu social system. It is a brahmin varna dominated, brahmin varna centric social system. In this system, the higher the varna or varna is, the more their rights are wide. On the other hand, the lower the varna or class is, the more it is deprived of its human rights. Shudra Varna is one of them. It is known as Mahadalit in modern times, not only this, in some states, the government has also called it Mahadalit. In Indian society, the word Mahadalit refers to a person or community who is neglected and oppressed from all walks of society. It can be said that the people who are traditionally considered as untouchables in the society are neglected and suppressed in all areas. They will be called Mahadalits because their status is different in the varna and caste system. In the Indian society, despite efforts by various social reformers, politicians and governments to solve the problems of Mahadalits, their problems could not be solved properly. Untouchability and purposeless discrimination against Mahadalits continue in India even after reaching the age of globalization. Therefore, unless the human rights towards Mahadalits are fully protected in Hinduism, they are not empowered socially, politically, economically, educationally and religiously. Till then it is not possible to solve the problems of Mahadalits in Indian society.


Abstract in Hindi Language:

भारत में वर्ण वर्चस्वादी सामाजिक व्यवस्था है। आज हम इसे हिन्दू समाज व्यवस्था के नाम से जानते हैं। यह ब्राह्मणवर्ण वर्चस्वादी, ब्राह्मणवर्ण केन्द्रित समाज व्यवस्था है। इस व्यवस्था में जो वर्ण या वर्ण जितनी ऊँचाई पर है उतने ही उनके अधिकार व्यापक है। दूसरी तरपफ जो वर्ण या वर्ग जितने नीचले स्थान पर हैं उतना ही वह अपने मानवी अधिकारों से वंचित है। शूद्र वर्ण इन्हीं में से एक है। इसे आधुनिक काल में महादलित के नाम से जाना जाता है, इतना ही नहीं किसी-किसी राज्य में तो सरकार ने इसे महादलित भी कहा है। भारतीय समाज में महादलित शब्द से अभिप्राय उस व्यक्ति या समुदाय से है जो समाज के सभी क्षेत्रों से उपेक्षित एवं दबा कुचला हो। यह कह जा सकता है कि समाज में परंपरागत रूप से अछूत माने जाने वाले लोग सभी क्षेत्रों में उपेक्षित एवं दबा हुआ है। वे ही महादलित कहे जायेंगे क्योंकि वर्ण एवं जाति व्यवस्था में इनका दर्जा भिन्न है। भारतीय समाज में विभिन्न समाज सुधरकों, राजनेताओं एवं सरकारों के द्वारा महादलितों की समस्या निवारण प्रयासों के बावजूद भी इनकी समस्याओं का उचित हल नहीं निकाला जा सका है। वैश्वीकरण के दौर में पहुँचकर भी भारत में महादलितों के प्रति अस्पृश्यता और उद्देश्यरहित विभेद बरकरार है। इसलिए जबतक हिन्दू धर्म में महादलितों के प्रति मानवाधिकारों को पूरी तरह से संरक्षण नहीं दिया जाता, इन्हें सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक,ं शैक्षणिक एवं धर्मिक रूप से सशक्त नहीं किया जाता। तब तक भारतीय समाज में महादलितों की समस्याओं का समाधन किया जाना संभव नहीं है।

Keywords: वर्ण-व्यवस्था, सामाजिक संरचना, अस्पृश्यता, छुआछूत, महादलित समस्या

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Published

2022-06-30

How to Cite

Kumari, A. (2022). Indian Mahadalit Problem: A Sociological Study: भारतीय महादलित समस्या: एक समाजशास्त्रीय अध्ययन. Research Review Journal of Social Science , 2(1), 17-20. https://doi.org/10.31305/rrjss.2022.v02.n01.003