The eternal concept of Vasudhaiva Kutumbakam: With special reference to India-Nepal relations
वसुधैव कुटुम्बकम् की सनातन अवधारणाः भारत नेपाल सम्बन्धों के विशेष सन्दर्भ में
DOI:
https://doi.org/10.31305/rrjss.2023.v03.n02.004Keywords:
Vasudhaiva Kutumbakam, cultural, historical, India, Nepal, siblingsAbstract
Anay Ninja Paroveti Ganana Laghuchetsam
Udacharitaanam tu Vasudhaiva Kutumbakam
This aphorism mentioned in the 17th verse of Chapter 4 of Mahopanishad is the cornerstone of Indian culture and values. Indian states have been using this concept of Sanatan culture for a long time in their extra-state relations. This motto of Sanatan Sanskriti has also played an important place in the relations with Nepal, India's closest neighbor and which has immense connection with Indian values of life since time immemorial. Nepal, surrounded by natural beauty in the Himalayan valleys, has had cultural historical relations with India for centuries. Due to common culture, uniformity of language and script and socio-political proximity, the brotherly feeling is clearly reflected in India-Nepal relations. Since ancient times, Nepal has been so intertwined with Indian values of life that the vision of the scenario of cultural India cannot be complete without Nepal. Through this article, we will mainly explore the historical cultural relations between India and Nepal, which inspire both the countries to learn from their glorious past and carry on relations with new energy in the present scenario.
Abstract in Hindi Language
अंय निंज परोवेति गणना लघुचेतसाम्
उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्
महोपनिषद् के अध्याय चार के 17वें श्लोक में वर्णित यह सूक्ति भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों के आधार स्तम्भ है। सनातन संस्कृति की इसी अवधारणा का प्रयोग चिरकाल से भारतीय राज्य अपने राज्येत्तर सम्बन्धों में करते आ रहे है। भारत के सबसे निकटतम पड़ोसी एवं अनादिकाल से भारतीय जीवन मूल्यों के साथ असीम जुड़ाव रखने वाले नेपाल के साथ सम्बन्धों में भी सनातन संस्कृति के इस आदर्श वाक्य का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। हिमालय की वादियों में प्राकृतिक सौन्दर्य से घिरे नेपाल का भारत के साथ सदियों से संस्कृतिक ऐतिहासिक सम्बन्ध रहा है। साझी संस्कृति, भाषा एवं लिपि की एकरूपता सामाजिक राजनीतिक सन्निकट्ता के कारण भारत नेपाल सम्बन्ध में सहोदर भाव स्पटतः परिलक्षित होता है। प्राचीन समय से ही भारतीय जीवन मूल्यों के साथ नेपाल इस तरह अन्र्तनीहित रहा है कि सांस्कृतिक भारत के परिदृश्य की परिकल्पना नेपाल के बिना पूर्ण नहीं हो सकती। इस लेख के माध्यम से हम मुख्यतः भारत नेपाल के मध्य के ऐतिहासिक सांस्कृतिक सम्बन्धों का अन्वेषण करेंगे, जो दोनों देशों को अपने गौरवमयी अतीत से सीखने एवं वर्तमान परिदृश्य में नई ऊर्जा के साथ सम्बन्ध निर्वहन की प्रेरणा प्रदान करते है।
Keywords: वसुधैव कुटुम्बकम्, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, भारत, नेपाल, सहोदर।